Saturday, December 31, 2011

पहले आप !

आज नींद देर से खुली. सूर्योदय हो चुका था . जब मैं जोगर्स पार्क पंहुचा तो एर्नेस्ट हेमिंग्वे की शक्ल से मिलता जुलता अधेड़ एक टैंकर ट्रक लेकर पहुंचा . उम्र करीब ७० साल ; साधू की तरह दाढ़ी . वैसे तो तक़रीबन एक मील लंबे पूरे पार्क में पानी का टाइमर स्प्रिन्क्लर लगा हुआ है पर कुछ रिमोट जगहों पर जहाँ पानी की फुहार नहीं पहुंचती थी वहाँ वह पानी पटाने लगा. एक घंटे बाद जब मैं लौट रहा था तब वह भी पम्प समेट कर जाने की तैयारी कर रहा था. कुछ और लोग भी टहल रहे थे उस पानी पटाने वाले से बेखबर . मुझसे नज़र मिली. मैंने उसे हेलो और गुड मोर्निंग कहा. उसने भी मुस्कुराकर मोर्निंग कहा. कोई पाच मिनट बाद मैं रोड पार करने वाला ही था कि उसकी ट्रक दाहिने तरफ से तेज़ी से आने लगी. वह बखूबी आराम से बढ़ सकता था. पर उसने गाड़ी रो़क दी और मुझे रोड पार करने का इशारा करने लगा. 
मुझे और उसे भी शायद बहुत अच्छा लग रहा था.
— at Baldivis

Saturday, December 3, 2011

कैदी


1971 का इंडो-पाक युध्द शायद भारत के इतिहास का एक यादगार क्षण है. तब हमलोग रांची में थे. मेरी उम्र 23 वर्ष थी और हमलोग उस युद्ध के हरेक क्षणों से रेडियो के माध्यम से जुड़े थे. युद्ध समाप्त होने के करीब एक महीने बाद अचानक एक दिन सब्जियों और मांस के दामों में 30% से ज्यादा की वृद्धि हो गयी. हम पढ़े-लिखो को जो समाचार पत्रों और रेडियो से हर पल की खबर रखते थे, उन्हें हैरानी तब हुई जब एक वृद्ध सब्जीवाली ने बताया कि इसका कारण हजारों पाकिस्तानी कैदियों का आगमन है. रांची की आबादी उस समय 3 लाख थी और कैदियों की संख्या 90,000 से ऊपर रही होगी. मालूम हुआ उन्हें रांची से 5 किलोमीटर दूर नामकुम में रखा गया है, जो उस समय सिख रेजिमेंट का गढ़ था. ये बात ज्यादा गंभीर तब हो गयी जब पाक ने एक स्टाम्प निकाला जिसमे पाक सैनिकों को भेढ़-बकरी जैसा कैद दिखाया गया था. इसे टाइम्स-लन्दन ने प्रकाशित किया था.
हमलोग 6 जन साइकिल पर मार्च की दोपहरी में POW camp  की पड़ताल करने निकले. क्या नज़ारा था. करीब 1X1 KM के दायरे में 15X15X12 feet के सैकड़ो मिटटी के गोल घर बने थे जिनकी छतें बांस-फूंस से ढकीं थी. हरेक घर ज़मीन से २ फीट ऊपर था और चार 6X3 feet का निकास द्वार बना था जो घरों को हवादार भी बना रहा था. हरेक में चार-चार कैदी थे. सब 6 फीट से ऊपर सफ़ेद गंजी और खाखी हाफ पैंट पहने हुए. दिन का ११ बज रहा होगा. सभी ताश खेल रहे थे और उनमे से कुछ सिगरेट पी रहे थे. दो-तीन ट्रालियाँ शायद पेय लेकर घूम रही थीं. 8 feet ऊंचे कंटीले तार के बाहर लोगों का हुजूम लगा था. तभी नजदीक के शिविर से दो पाक कैदी निकले. लोगों ने हाथ हिला कर उनका अभिभावन किया. उन्होंने भी हाथ हिला कर जवाब दिया. आज मैंने utube में Pak POW  पर विडियो देखी. दो हकीकत निखर कर सामने आयीं. India Incredible व् Manekshaw was a jolly good fellow !