बहुत दिनों से फेसबुक में फ्रेंड्स की चरित्र पर मन में मंथन हो रहा था । आश्चर्य होता है मार्क महाशय पर जिन्होंने फ्रेंड्स की फेसबुक में भूमिका समझी और उसमें सभी को समेट लिया- छोटे-बड़े नाते-रिश्तेदार, अच्छे-बुरे और दुष्ट मित्र, मित्रों के मित्र और कुछ अनजान एक क्षण में मालूम पड़ जाता है आपकी हैसियत क्या है और आपके फ्रेंड्स की गहराई कितनी है । मैं पिछले कुछ महीनों से फेसबुक से उदासीन सा हो गया था । धीरे-धीरे ज्ञानोदय हुआ और अब मैं पुनः पुरजोर सक्रीय हो गया हूँ । कहना न होगा जैसा मैं अपने साथ व्यवहार चाहूंगा वैसा ही दूसरों के साथ करूंगा । यही सत्याग्रह है ।
अगर मैने 100 के लगभग दोस्त बनाये हें हैं फेसबुक पर तो जाहिर है कोई भी दो एक जैसे नहीं होंगे । विद्वता, समझदारी, पूर्वाग्रह और सबसे अहम् मनोभाव (attitude) और उससे ज्यादा निजी संबंधों पर उनकी प्रतिक्रया अलग-अलग होगी ।
फेसबुक कविता, कहानी, ब्लॉग और लेख पोस्ट करने का एक अच्छा माध्यम हो गया है । प्रबुद्ध जनों का पोस्ट किया फोटो, विडियो और समाचार उत्कृष्ट होता है। इनका राजनैतिक मंथन विचार करने लायक होता है । ये फेसबुक पर सात्विकता बिखेरते रहते हैं।
इसके विपरीत सबसे ज्यादा उन की भरमार है जिनकी मांग बहुत थोड़ी है । वे दूसरो का पोस्ट मात्र इसलिए लाइक करते हैं कि बदले मैं उन्हें भी उनके पोस्ट पर लाइक मिले । ऐसे लोगों को खुश रखना बहुत आसान है ।
एक बड़ी श्रेणी उन भक्तों की है जो धार्मिक पोस्टर्स निकालते हैं अथवा राजनितिक अंधभक्ति करते हैं । उनका मकसद होता है ज्यादा से ज्यादा शेयरिंग । इन क्रियाओं को बढ़ावा देना है तो बेशक शेयर कीजिये । इससे इन महाशयों का दिन बेहतर गुजरेगा ।
कुछ लोग फेक न्यूज़ (जाली खबर) को सत्य मानकर शेयर करते चले जाते हैं । इन्हें पता होना चाइये कि इस श्रेणी में हैकर की बहुतायत है जिन्हें आपका प्राइवेट प्रोफाइल चाहिए । आपकी शेयरिंग से दूसरों का प्रोफाइल भी उजागर हो जाता है । जाली खबर की जांच बहुत आसन है । उस खबर कुछ शब्दों को ब्राउज़र पर पोस्ट करके देखिये कि कोई प्रतिष्ठित समाचार पत्र अथवा न्यूज़ मीडिया उसे संपोषित करता है या नहीं । जैसे एक फेक न्यूज़ लें “ मोदी अस्वस्थ हैं इसलिए आज किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे “ अब “ मोदी अस्वस्थ” को ब्राउज़र में कॉपी/पेस्ट करके देखिये । जो प्रमाणिक समाचार मिलेगा वह है “पीएम मोदी ने तेज प्रताप को कन्हैया कहकर बताया अस्वस्थ”

रियल टाइम फ्रेंड्स अपनी दोस्ती की पुष्टि प्रत्येक पोस्ट पर बिना झिझक लाइक का ठप्पा लगते दिखेंगे । पर इनकी भी श्रेणी होती है । इनकी विशेष श्रेणी कुछ कमेंट्स भी डाल देती है- कभी अच्छा, कभी बहुत अच्छा और कभी बहुत ही अच्छा । इनकी एक विशिष्ट विशेष श्रेणी भी होती है । कभी आप इनकी उम्मीद से आगे जाने की नहीं सोचिएगा नहीं तो वही हाल होगा जो “3 इडियट्स” में रेंचो का हुआ था । कभी एक लेख, ब्लॉग या कविता डाल कर देखिये । आपको एक लाइक तक नहीं नजर आएगी ।
हो सकता है ब्लॉग बहुत ही खराब लिखा गया हो । एक तो घर की मुर्गी वह भी दाल के एक दाने के बराबर। पर फेसबुक में डालने का अर्थ ही है कि लेखक उसपर प्रतिक्रया चाहता है । एक सही दोस्त मन मार कर ही सही उस ब्लॉग को भली-भांति पढता है और अपना मंतव्य दे इतनी ईमानदारी और नजाकत से देता है कि तकलीफ भी न हो और लेखक अपने प्रयत्न में निखार लाने की हिम्मत जुटा पाए । जब फरहान और राजू जैसे रेंचो के स्टोरीलाइन दोस्त वैसी नैतिकता नहीं जुटा पाए तो सचमुच के मुरारीलाल से आशा करना तो व्यर्थ ही है ।
अगर मैने 100 के लगभग दोस्त बनाये हें हैं फेसबुक पर तो जाहिर है कोई भी दो एक जैसे नहीं होंगे । विद्वता, समझदारी, पूर्वाग्रह और सबसे अहम् मनोभाव (attitude) और उससे ज्यादा निजी संबंधों पर उनकी प्रतिक्रया अलग-अलग होगी ।
फेसबुक कविता, कहानी, ब्लॉग और लेख पोस्ट करने का एक अच्छा माध्यम हो गया है । प्रबुद्ध जनों का पोस्ट किया फोटो, विडियो और समाचार उत्कृष्ट होता है। इनका राजनैतिक मंथन विचार करने लायक होता है । ये फेसबुक पर सात्विकता बिखेरते रहते हैं।
इसके विपरीत सबसे ज्यादा उन की भरमार है जिनकी मांग बहुत थोड़ी है । वे दूसरो का पोस्ट मात्र इसलिए लाइक करते हैं कि बदले मैं उन्हें भी उनके पोस्ट पर लाइक मिले । ऐसे लोगों को खुश रखना बहुत आसान है ।
एक बड़ी श्रेणी उन भक्तों की है जो धार्मिक पोस्टर्स निकालते हैं अथवा राजनितिक अंधभक्ति करते हैं । उनका मकसद होता है ज्यादा से ज्यादा शेयरिंग । इन क्रियाओं को बढ़ावा देना है तो बेशक शेयर कीजिये । इससे इन महाशयों का दिन बेहतर गुजरेगा ।
कुछ लोग फेक न्यूज़ (जाली खबर) को सत्य मानकर शेयर करते चले जाते हैं । इन्हें पता होना चाइये कि इस श्रेणी में हैकर की बहुतायत है जिन्हें आपका प्राइवेट प्रोफाइल चाहिए । आपकी शेयरिंग से दूसरों का प्रोफाइल भी उजागर हो जाता है । जाली खबर की जांच बहुत आसन है । उस खबर कुछ शब्दों को ब्राउज़र पर पोस्ट करके देखिये कि कोई प्रतिष्ठित समाचार पत्र अथवा न्यूज़ मीडिया उसे संपोषित करता है या नहीं । जैसे एक फेक न्यूज़ लें “ मोदी अस्वस्थ हैं इसलिए आज किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे “ अब “ मोदी अस्वस्थ” को ब्राउज़र में कॉपी/पेस्ट करके देखिये । जो प्रमाणिक समाचार मिलेगा वह है “पीएम मोदी ने तेज प्रताप को कन्हैया कहकर बताया अस्वस्थ”

रियल टाइम फ्रेंड्स अपनी दोस्ती की पुष्टि प्रत्येक पोस्ट पर बिना झिझक लाइक का ठप्पा लगते दिखेंगे । पर इनकी भी श्रेणी होती है । इनकी विशेष श्रेणी कुछ कमेंट्स भी डाल देती है- कभी अच्छा, कभी बहुत अच्छा और कभी बहुत ही अच्छा । इनकी एक विशिष्ट विशेष श्रेणी भी होती है । कभी आप इनकी उम्मीद से आगे जाने की नहीं सोचिएगा नहीं तो वही हाल होगा जो “3 इडियट्स” में रेंचो का हुआ था । कभी एक लेख, ब्लॉग या कविता डाल कर देखिये । आपको एक लाइक तक नहीं नजर आएगी ।
हो सकता है ब्लॉग बहुत ही खराब लिखा गया हो । एक तो घर की मुर्गी वह भी दाल के एक दाने के बराबर। पर फेसबुक में डालने का अर्थ ही है कि लेखक उसपर प्रतिक्रया चाहता है । एक सही दोस्त मन मार कर ही सही उस ब्लॉग को भली-भांति पढता है और अपना मंतव्य दे इतनी ईमानदारी और नजाकत से देता है कि तकलीफ भी न हो और लेखक अपने प्रयत्न में निखार लाने की हिम्मत जुटा पाए । जब फरहान और राजू जैसे रेंचो के स्टोरीलाइन दोस्त वैसी नैतिकता नहीं जुटा पाए तो सचमुच के मुरारीलाल से आशा करना तो व्यर्थ ही है ।
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