Wednesday, May 30, 2012

छोड़ो कल की बातें !

ऑस्ट्रेलिया और शायद सभी विकसित देशों में जिंदगी ने अपना सुर स्थापित कर लिया है. भारत और उसके जैसे विकासशील देश जो पूँजीवादिता की दौड में पीछे नहीं रहना चाहते, इन देशों का अनुसरण कर रहे है.
ऑस्ट्रेलिया में सूर्योदय से एक घंटे पहले दिनचर्या आरम्भ हो जाती है. ज्यादातर माँ-बाप दोनों जीविकोपार्जन के लिए काम करते हैं. इसलिए  दिनचर्या का चौखटा १० साल से कम उम्र के बच्चे तय करते हैं जिन्हें घर पर अकेला नहीं छोड़ा जा सकता.
सुबह सवेरे माँ-बाप अपने छोटे बच्चों ( तीन महीने से पांच साल ) को डे-केयर में छोड़ आते हैं. यह काम सुबह छ बजे से आठ बजे तक होता है. दिहाडी मजदूर, मिस्त्री, कारीगर अपने कार्यस्थल पर छ से सात बजे के अंदर आ जाते हैं जिससे कि उनका काम या काम करने की अवधि तीन बजते-बजते खत्म हो जाये. ऑफिस में काम करने वाले वाईट कालर्ड जन जैसे सॉफ्टवेयर इंजीनीयर, मैनेजर, डॉक्टर, इत्यादि अपने बच्चों को आठ बजे तक डे-केयर में सौंप कर अपने कार्यस्थल पर नौ बजे तक पहुँच जाते हैं. बच्चों को वापस लेकर घर लौटने का कार्यक्रम तीन बजे से छ बजे शाम तक होता है.
यहाँ के डे-केयर में व्यवासिकता के साथ-साथ समर्पित भावना का बहुत सुन्दर समिश्रण है. कोई भी अपना बच्चा यहाँ छोडना चाहेगा और कोई भी बच्चा यहाँ समय बिताना चाहेगा. जब आप बच्चे को वापिस लेने जायेंगे तो आपको एक डायरी में दस्तखत करना होता है जिसमे बच्चे के दिनभर के सारे क्रियाकलापों का ब्यौरा होता है जैसे के और कितना खाया, कितने बार हल्का किया, कितनी देर और कब सोया और क्या सीखा इत्यादि. आपका बच्चा अगर आराम से डे-केयर जाता है और लौटते वक्त अपने साथियों एवं खासकर अपनी टीचर को गुड बाई कहता है तो आपको भी उनके समर्पण और अपनेपन पर विश्वास होता है.

यहाँ सुबह के समय जोग्गर्स पार्क में बूढी औरतें सरपट चलती मिलेंगी. बूढ़े आदमी जोग्गिंग करते मिलेंगे. बूढ़े से मेरा मतलब ७० और उसके ऊपर के लोगों से है. अगर इससे कम उम्र के लोग एक्का-दुक्का मिलते भी हैं तो इसका मतलब है कि वे या तो छुट्टी पर हैं या छुट्टी बिताने आयें हैं.  जिनके पास पालतू कुत्ते होते हैं वे उन्हें पौटी कराने साथ ले आते है. कुत्ते की पौटी को फेंकने के लिए हरेक पार्क में बिन और पोलीथीन बैग की व्यवस्था है. सुबह और शाम की तफरीह् तब ज्यादा खुशदायक हो जाती है जब सभी गुजरने वाले आपको मुस्कुराकर विश करते हैं चाहे आप पहली बार एक-दूसरे को देख रहे हों.
ऑस्ट्रेलिया में सिविक-सेन्स और सिविक सुविधाएँ तारीफ और अनुसरण के काबिल है. प्रत्येक घर को हरे( बायोडिग्रेडेबल) और पीले (रिसायिकिलेब्ल) रंग का २०० लीटर वाला कचरे का डिब्बा मिला होता है जिसे खाली करने प्रत्येक सप्ताह म्युनिसिपालिटी की गाडी आती है. सड़क की सफाई के लिए मोबाइल स्वीपर इस्तेमाल किये जाते हैं.ऐसी ही सफाई पार्क की होती है जहाँ कचरे के डिब्बे के अलावा खोज-खोज कर कचरा इकठ्ठा किया जाता है. घास के प्रुनिग होती है. प्ले-स्टेशन का रख-रखाव व् ओइलिंग हरेक महीने होता है. अगर कोई घर बन रहा होता है तो उसके बाहर बजट टॉयलेट का इंतजाम क़ानूनन् है. 
पार्क  और जोग्गिंग ट्रैक ऐसे हैं कि बीमार और बूढ़े भी टहलने और दौड़ने लगे. हरी कारपेट घास, और तरह-तरह के पेड़ जिसकी सिचाईं के लिए सामान दूरी पर स्वचालित स्प्रिकलर लगे होते हैं,
ट्रांसपोर्ट  का इंतजाम अति सुन्दर है. एक अपाहिज भी अपनी बग्गी पर सवार रहते बस या ट्रेन में आराम से चढ सकता है जहाँ उसके लिए जगह सुरक्षित रहती है. यहाँ  बाईसाईकिल और मोटर बाईक लोग शौकिया चलाते हैं. सड़क पर ९९% कार दिखेगी. शहर और हाई वे की बात तो छोडिये, दूर-दराज गांव और बस्तियों की सड़कें भी शानदार और मेन्टेन्ड हैं. पैदल और साईकिल के लिए सामानांतर लेन, पार्किंग के लिए जगह-जगह लाल रंग की बाईलेन और पार्किंग स्पेस कहीं भी कोई उलझन की गुन्जायिश नहीं रहने देती हैं.
ऑस्ट्रेलिया में सड़कों पर त्यौहार या जश्न मनाने की आदत ना के बराबर है. क्रिसमस और ईस्टर जैसे त्यौहार भी घर पर, चर्च में या होटल में मनाये जाते है. हाँ वीकेंड में पार्कों में मिलन होता है बार-बी-क्यू और बीयर के साथ जिसके लिए वहाँ शासन की तरफ से शेडेड टेबल, बेंच, बार-बी-क्यू, बिजली, पानी, टॉयलेट, कचरे के डिब्बे इत्यादि की सुविधा दी जाती है. और अगर किसी दिन पड़ोस के घर में गेट-टूगेदर है तो आपका पडोसी बहुत पहले आकर आपको कुछ हल्ला होने के अंदेशा की सूचना अवश्य देगा.
यहाँ  की सबसे अच्छी बात है के किसी काम को छोटा नहीं समझा जाता. मजेदार बात यह है कि एक सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ से ज्यादा डालर राज मिस्त्री और उससे भी ज्यादा खान में काम करने वाले कमाते हैं. रहन-सहन और ठाठ-बाट में रत्ती भर भी फर्क नजर नहीं आएगा. यह दूसरी बात है कि एक पांचवी पास , एक स्कूल पास, एक स्नातक और एक स्कालर की शख्शियत तो मालूम पड़ ही जाती है. 
ऑस्ट्रेलिया विदेशियों को बसने के लिए प्रोत्साहित करता है. इसके पास अपार निर्जन जमीन है जिसे विकसित किया जा सकता है. अच्छी तादाद में लोग आ भी रहे है. नयी बस्तियां और नगरों का विकास व निर्माण हो रहा है. पर गौर करने लायक बात यह है कि कहीं भी पेड़ काटे नहीं जाते, उनके चारों तरफ पार्क बना दिए जाते हैं. बालडाईविस पर्थ से ४० किलोमीटर दक्षिण है, जहाँ हमारा घर है. घर से फर्लांग भर के दायरे में चार पार्क हैं. एक पार्क जो बालडाईविस रोड के साथ साथ है उसकी लम्बाई तकरीबन एक किलोमीटर होगी जिसमे तीन सरोवर, तीन प्ले स्टेशन, दो बार-बी-क्यू प्लेस और एक टेनिस कोर्ट है. 
 
 

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