Tuesday, April 9, 2013

संस्कारहीन

अमेरिकन वीसा बनवाते समय ही यह पता लग गया था कि मुझे तरह-तरह की सिक्यूरिटी चेकिंग से गुजरना पड़ेगा. ११/९ के बाद ऐसा बिलकुल ठीक था. पर सबकुछ इतना कुछ होते हुए भी बहुत अच्छे से और तेजी कार्यवायी हो रही थी.  कहीं कोई परेशानी नहीं हुई. लगता था जैसे हर समय और अच्छा करने की कोशिश होती रह्ती है.  इसीलिए 2-3 हजार की पंक्ति दो घंटे के अन्दर बड़ी आसानी से निबटा ली जाती थी.
अंत में, एअरपोर्ट से निकलने के पहले की इमिग्रेशन चेकिंग मुझे कुछ ज्यादा ही आतंकित किये हुए था. पंक्ति में मेरा स्थान चौथा था. क्यूबिकल में बैठने के लिए जेम्स बांड सरीखा एक नवयुवक मेरे पास से गुजरा. उसके होल्स्टर में एक भारी रिवाल्वर थी. बैठने की बाद उसने अपनी निगाहें लगी पंक्ति की ओर डालीं. उसकी निगाहों में अहंकार की भरपूर झलक थी. पहले नम्बर पर एक 25-30 वर्ष की नवयुवती थी. उसने इशारे से उसे खिड़की के पास आने को कहा. मॉनिटर पर पहले से पूरा विवरण था. उससे मुस्कुरा कर बातें की और दो मिनटों में क्लीयरेंस दे दी.
अब मैं पंक्ति में तीसरे नंबर पर था. मैं सोच रहा था कि ऐसे ही किसी शख्स ने शाहरुख खान और हमारे राष्ट्रपति श्री कलाम की क्लास ली होगी. मेरे आगे  श्रीलंका के नव-दम्पति थे. खिड़की के पास पहुंचते ही दोनों ने तेज़ आवाज़ में ऑफिसर को ग्रीट किया. शायद उनकी तेज़ आवाज़ ने या उनलोगों ने कुछ ऐसा जवाब दिया की बात बनती नहीं दिखी. पूरे दस मिनट साक्षात्कार चला. इसी बीच ऑफिसर ने हमारी ओर देख कर मुंह बिचकाया पर मेरे पीछे खड़ी लड़की को देखकर मुस्कुराया. मैंने भी पीछे मुड़कर देखा. एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भड़कीले पहनावें में खड़ी दिखी. ऑफिसर में अथॉरिटी के साथ सस्तापन साफ़ झलक रहा था. मुझे अपने यहाँ के सिपाही और क्लर्क याद आ गए.
जैसा मैंने अनुमान लगाया था, कारण बिलकुल अलग था पर हमलोगों को क्लीयरेंस देने में उसे दो मिनट भी नहीं लगा. आगे बढ़ते समय मैं सोच रहा था की जरूर शाहरुख ने अपना एटीच्युड दिखाया होगा और स्मार्ट बनने की कोशिश की होगी. 
पर श्री कलाम ? जब मेरे जैसे साधारण व्यक्ति का पूरा ब्यौरा उनलोगों ने लिया था तो श्री कलाम तो एक महान देश के महान राष्ट्रपति थे और न जाने कितनी बार एक अति विशिष्ट व्यक्तित्व की हैसियत से अमेरिका आयें होंगे. अमेरिका यह कहकर कदापि अपनी सफाई नहीं दे सकता है की वह श्री कलाम को नहीं जानता था.. ऐसा कहना उनके जांच प्रणाली पर एक बेहूदा कलंक होगा.
ये ना तो एटीच्युड और न पर्सनालिटी क्लैश था ! एक सीधे सादे, महान व्यक्तित्व और काफी बुजुर्ग के साथ एक संस्कारहीन की बदसलूकी और बदतमीजी थी.
अब समय आ गया है कि किसी को जिम्मेवारी देने के पहले उस व्यक्ति को भली-भांति जान लिया जाये चाहे वह जिम्मेवारी व्यक्तिगत हो, सामाजिक हो अथवा सरकारी.
अभी डी०एन०ए० और जेनेटिक्स इंप्रिंट को मात्र बायोलॉजिकल ब्योरा जानने के लिए ही इस्तेमाल किया जा रहा है  भविष्य में यह व्यक्तित्व की गुणवत्ता मापने  का अचूक जरिया बन सकेगा.  तब यह भष्ट्राचार से लड़ने का एक अमोघ अस्त्र भी हो सकेगा.

1 comment:

  1. There it was Mr.Kalam's fault.
    Like you he too should have placed himself ne count before than a presentable beauty.

    In a haste that young yank would have 'just' bypassed you!.

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